E Commerce Kya Hai, E Commerce की बारे में जानकरी 2023 में

आज हम जानेंगे E Commerce Kya Hai | E Commerce Full Form In Hindi | E Commerce Ke Prakar | E Commerce के फायदे और नुकसान | बताने वाले है.

e commerce kya hai-

आज हम जानेंगे की e commerce kya hai और इ कॉमर्स से जुडी सभी जानकारी हिंदी में सीखेंगे.

E-Commerce या Electronic Commerce वह Business है जो इंटरनेट का उपयोग करके होता है।

ई-कॉमर्स एक आधुनिक Business System है।

जब हमें कुछ खरीदना होता था तो हमें किसी दुकान पर जाकर सामान चुनना पड़ता था फिर खरीदकर लाना पड़ता था।

आज, हम इंटरनेट के माध्यम से अधिकांश आवश्यक सामान खरीद सकते हैं। आपने शायद पहले भी E-commerce के बारे में सुना होगा।

आपने Amazon, Flipkart, OLX आदि कंपनियों के बारे में सुना होगा या आपने इनसे कोई सामान ऑर्डर किया होगा और मंगाया होगा।

ये सभी E-commerce कंपनियां के उदाहरण हैं। आप इन कंपनियों के माध्यम से अपने सामान को ऑनलाइन बेच भी सकते हैं।

सभी ऑनलाइन व्यावसायिक गतिविधियाँ e commerce की मदद से आयोजित की जाती हैं। इंटरनेट का उपयोग करते हुए, ग्राहक वेबसाइट के माध्यम से Products का order दे सकता है वैसे ही वह किसी भी product की quality, कीमत देख सकता है।

credit card और debit card का उपयोग ई-कॉमर्स लेनदेन में किया जाता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आप Amazon.in से कोई सामान ऑर्डर करते हैं

तो आप उसी वक्त उस सामान के मूल्य को अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से online Pay कर सकते हैं। हम कह सकते हैं कि Online Shopping करना ही E-commerce कहलाता है।

e commerce ka itihas-

11 अगस्त 1994 कि एक दोपहर को ‘फिल ब्रेंडनबर्जर’ ने अपना कम्प्यूटर शुरु किया और NetMarket (एक ऑनलाइन स्टोर) से स्टिंग (Sting) की सीडी को $12.48 में खरिदा जिसका भुगतान क्रेडिट कार्ड से किया गया. इस सीडी का नाम ‘Ten Summoners’ Tales’ था.

इस घटना ने इतिहास रचा था और आज भी इसे ही असल ई-कॉमर्स ट्राजेंक्शन माना जाता है क्योंकि इस ऑनलाइन ट्राजेंक्शन के दौरान पहली बार Encryption Technology का उपयोग ऑनलाइन शॉपिंग मे हुआ था. जो आज आम बात हो गई है.

1960 के दौरान बिजनेसेस ने अन्य कंपनियों के साथ अपने बिजनेस डॉक्युमेंट Electronic Data Interchange (EDI) का उपयोग करते हुए शेयर करने शुरु कर दिए.

फिर 1979 में American National Standard Institute ने बिजनेस डॉक्युमेंट शेयर करने के लिए सार्वभौनिक मानक तैयार किए जिन्हे ASC X12 के नाम से जाना जाता है.

इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों जैसे eBay, Amazon आदि का जन्म शुरु हुआ. और ई-कॉमर्स क्राति की शुरुआत हो गई.

E Commerce Full Form in hindi –

E Commerce Full Form in hindi – ‘इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स’ होता है। यह वस्तुओं को सेवाओं को इलेक्ट्रिक माध्यम से खरीदने और बेचने की गतिविधि है

e commerce ke prakar –

अब तक हमने जाना है की e commerce kya hai, e commerce kya hota hai और अब हम जानेंगे की e commerce ke prakar के होते है .

  • Business to Business (B2B)
  • Business to Consumer (B2C)
  • Consumer to Consumer (C2C)
  • Consumer to Business (C2B)
  • Government to Business (G2B)
  • Business to Government (B2G)
  • Consumer to Government (C2G)
e commerce kya hai
e commerce kya hai


B2B-व्यवसाय से व्यवसाय (Business to Business E-commerce)-


दो व्यवसायिक कंपनियों के बीच आपसी लेंन-देंन से सम्बंधित है जिसमे कोई कंपनी अपना खुद का उत्पाद ना बना कर दूसरी कंपनी से खरीद कर बेचता है उसे व्यवसाय से व्यवसाय ई-कॉमर्स या Business to Business E-commerce भी कहते है |

B2C- व्यापार से उपभोक्ता (Business to Consumer E-commerce)-


कंपनी अपने बनाये उत्पाद एवं सेवाएं सीधे उपभोक्ता को वेबसाइट के माध्यम से बेचता है, जिसमे उपभोक्ता उत्पाद के विषय में जानकारी लेकर उत्पाद का आर्डर करके घर में सामान प्राप्त करता है इस इलेक्ट्रानिक लेंन-देंन को व्यापार से उपभोक्ता ई-कॉमर्स या Business to Consumer E-commerce भी कहते है, जैसे Flipkart, Amazon आदि |

C2C-उपभोक्ता से उपभोक्ता (Consumer to Consumer E-commerce )-


दो उपभोक्ताओं के बीच सेवाओं और सुविधाएं का इलेक्ट्रानिक लेंन-देंन किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से किया जाता है, जिसमे एक उपभोक्ता सामान बेचता है और दूसरा खरीदता है जैसे olx ,Quicker, eBay आदि, इसे उपभोक्ता से उपभोक्ता ई-कॉमर्स या Consumer to Consumer E-commerce भी कहते है |

C2B-उपभोक्ता से व्यवसाय (Consumer to Business E-commerce)-


यह इलेक्ट्रानिक लेन-देन व्यापार से उपभोक्ता ( B2C) का विपरीत है, इसमे उपभोक्ता और व्यवसाय के बीच आपसी लेन-देन होता है, जब एक उपभोक्ता को वेबसाइट बनाने के लिए ऑनलाइन आवश्यकता होती है तथा दूसरी कंपनी उपभोक्ता के लिए वेबसाइट बनाकर देती है इसे उपभोक्ता से व्यवसाय या Consumer to Business E-commerce कहते है |

B2G-व्यवसाय से प्रशासन (Business To Government E-commerce)-


कंपनियों तथा प्रशासन के बीच सभी ऑनलाइन लेंन-देंन शामिल होते है इस ई-कॉमर्स में विभिन्न प्रकार की सेवाएं जैसे सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय, रोजगार, कानूनी दस्तावेज और रजिस्ट्रार आदि अधिक मात्रा में शामिल हैं, इस प्रकार के लेंन-देंन को व्यवसाय से प्रशासन या Business To Government E-commerce कहते है |

c2G- उपभोक्ता-से-प्रशासन (Consumer To Government E-commerce)-


इस ई-कॉमर्स के अंतर्गत उपभोक्ता और प्रशासन के बीच किए गए सभी इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन सम्मिलित होते हैं, जैसे कर का भुगतान, स्वास्थ्य सेवाओं का भुगतान तथा दूरस्थ शिक्षा प्राप्त करना आदि , इस प्रकार के लेंन-देंन को उपभोक्ता से प्रशासन या Consumer To Government E-Commerce कहते है |

भारत में E-Commerce कब शुरू हुआ-

अगर भारत में E-Commerce की शुरुवात की बात की जाए तो IRCTC द्वारा सन 2002 में इसकी शुरुवात कर दी गयी थी,

जिसमे IRCTC ने एक Online Portal निकाला था जिससे रेल यात्रा के लिए टिकट खरीदने से लेकर रेल से जुड़ी दूसरी जरूरी जानकारियाँ यात्रियों को दी जा सकती थी, साथ ही इसका उद्देस्य टिकट बुकिंग कर्मियों पर से भी भार को कम करना था।

इसके बाद IRCTC के इसी मॉडल को देखकर सन 2003 में Air Deccan और Indian Airlines द्वारा भी ऑनलाइन टिकटिंग सुविधा सुरु कर दी गयी, जिससे बिना किसी एजेंट कमिशन के सीधे तोर पर अपने यात्रियों से जुड़ा जा सकता था।

  • भारत में E-Commerce के मुख्य Platforms
  • Amazon
  • Flipkart
  • Snapdeal
  • Jabong,
  • Myntra,
  • Shopclues,
  • Paytm,
  • Shopify इत्यादि।
E Commerce के फायदे और नुकसान
E Commerce के फायदे और नुकसान

Amazon – दुनिया की सबसे बडी ई-कॉमर्स मार्केटप्लैस होने का दावा ठोकने वाली अमेजन कंपनी परिचय का मोहताज नहीं है. दुनियाभर के ग्राहकों के बीच इसने अपनी पहचान कायम की है. और लोगों को a-z प्रोड्क्ट पहुँचाकर खुशी बांटने का मंगल काम कर रही है.

Flipkart – यह भारतीय कंपनी एमेजन की तरह भारतीय मर्चेंट्स के लिए देशी तकनीक पर आधारित विश्वव्यापि मार्केट उपलब्ध करा रही है.

eBay – यह ई-कॉमर्स की शुरूआती कंपनियों में से एक है. जो नए सामान के साथ पुराना सामान खरीदने-बेचने के लिए मार्केटप्लेस उपलब्ध करा रही है. इसका बिजनेस मॉडल C2C पर ज्यादा आधारित है.

Etsy – इस मार्केटप्लेस पर हैण्डमैड, विंटिज और कुछ दुर्लभ वस्तुएं खरीदी-बेची जा सकती है.

Alibaba – यह एक चीनी ई-कॉमर्स कंपनी है. जो थोक विक्रेताओं, निर्माताओं, सप्लायर्स, आयातक/निर्यातकों के लिए मार्केटप्लेस उपलब्ध कराती है.

Indiamart – यह एक भारतीय मार्केटप्लेस है जो बिल्कुल एलिबाबा की तरह कार्य करता है.

Fiverr – यह एक फ्रीलासिंग मार्केटप्लेस है जो पेशेवर लोगों को अपनी सेवाएं उपलब्ध कराने का काम करती है. यहाँ पर एक ग्राफिक डिजाईनर, वेब डवलपर आदि लोग इस मार्केटप्लेस से जुडकर अपनी सेवाएं मुहैया करा सकते है.

E Commerce के फायदे और नुकसान –

अब तक हमने जाना है की e commerce kya hai, e commerce kya hota hai, E-Commerce के फायदे और अब हम जानेंगे की E-Commerce के फायदे और नुकसान क्या होता है –

E-Commerce के फायदे-

  • मनपसंद सामान या सर्विस के चुनाव का मौका:- E-Commerce से एक उपभोक्ता को अपनी मनपसंद के सामान या सर्विस को खरीदने के ढेरो विकल्प मिल जाते हैं,
  • जिसमे इसकी विविधता और क्षेत्र असीमित होता है। यानि एक जगह बैठे-बैठे दूसरे कई मंचो से लिए जाने वाले सामान की तुलना करने का मौका मिल जाता है।
  • सुविधा:- उपभोक्ता को खरीदारी करने की सुविधा रहती है, यदि अगर आप कही सफर कर रहें हैं, या मौसम ख़राब होने पर बाहर नहीं जा सकते तो भी आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि E-Commerce से घर बैठे खरीदारी का विकल्प मिल जाता है।
  • समय की बचत:- E-Commerce से समय की काफी बचत हो जाती है, आपको बाहर जाने और अलग-अलग दुकानों पर जाकर सामान चुनने की झंझट से छुटकारा मिल जाता है।

E-Commerce के नुकसान-

  • सुरक्षा:-अगर सबसे बड़ी कमी जो उपभोक्ता की नजर से देखा जाए तो वह ऑनलाइन खरीदारी में सुरक्षा को लेकर है, यानि E-Commerce वेबसाइट पर अपनी पूरी जानकारी देना जिसमें अपना पता नाम और क्रेडिट कार्ड से सम्बंधित जरुरी जानकारियां होती हैं, जिसके चोरी होने का खतरा बना रहता है।
  • धोके का डर:-ग्राहक कही बार E-Commerce खरीदारी से बचता है, क्योंकि जहाँ से वह खरीदारी की सोच रहा है, क्या वो वास्तविक रूप में है भी या नहीं, तो ग्राहक के मन में यह डर बना रहता है।
  • अगर कुछ नामी E-Commerce कंपनियों को छोड़ दिया जाए तो इंटरनेट पर दूसरी हजारों ऐसी वेबसाइट रोज बनती हैं, जिनसे Fraud भी किया जाता है।
  • खरीदारी से पहले Try नहीं क्या जा सकता:-अगर बात करें किसी शोरूम या दुकान की जहाँ पर हम सामान को छूंकर देख सकते हैं,
  • लेकिन E-Commerce में खरीदारी से पहले ऐसा नहीं किया जा सकता जिससे मन में संदेह बना रहता है।

Conclusion-

  • जेसा की आज हमने आपको e commerce kya hai, e commerce ke prakar, भारत में E-Commerce कब शुरू हुआ, e commerce के फायदे और नुकसान, E Commerce Full Form in hindi के बारे में आपको बताया है.
  • इसकी सारी प्रोसेस स्टेप बाई स्टेप बताई है उसे आप फोलो करते जाओ निश्चित ही आपकी समस्या का समाधान होगा.
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ई कॉमर्स की शुरुआत कब हुई?

11, अगस्त 1994 कि एक दोपहर को ‘फिल ब्रेंडनबर्जर’ ने अपना कम्प्यूटर शुरु किया और NetMarket (एक ऑनलाइन स्टोर) से स्टिंग (Sting) की सीडी को $12.48 में खरिदा जिसका भुगतान क्रेडिट कार्ड से किया गया. इस सीडी का नाम ‘Ten Summoners’ Tales’ था.

ई कॉमर्स कितने प्रकार के होते हैं?

Business to Business (B2B)
Business to Consumer (B2C)
Consumer to Consumer (C2C)
Consumer to Business (C2B)
Government to Business (G2B)
Business to Government (B2G)
Consumer to Government (C2G)

ई कॉमर्स की आवश्यकता क्यों है?

कॉमर्स विक्रेताओं को ग्राहकों के निकट पहुँचने में सक्षम बनाता है जिससे उत्पादकता और पूर्ण प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि होती है।

Ramu Choudhary, मैं एक Computer Graduate and Internet Services के बारे 2016 से बहुत अच्छे से रूबरू हु. में Technology ओर Education से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों कोबहुत पसंद है यदि आप भी Technology ओर Education सूचना प्राप्त करना चाहती होतो फिर हमारे ब्लॉग को फॉलो कर ले और दोस्तों के साथ शेयर कर दे.